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संजय लीला भंसाली एक उम्दा फिल्म निर्देशक के साथ साथ एक निर्माता भी है , अब तक इन्होने लगभग जितनी भी फिल्मों को बनाया है या निर्देशित किया है उनमें ज्यादातर फिल्मो मैं कोई न कोई विवाद जरूर रहा है पिछले दस सालों मैं मैंने तो यही देखा है, अब पिछली फिल्म थी रामलीला उसमें भी जमकर वबाल हुआ बाद मैं नाम बदल दिया गया क्यों की इस फिल्म का नाम भगवान राम के जीवन चरित्र पर आधारित था रामलीला ,धार्मिक संस्कृति और परंपरा के हिसाब से रामलीला का क्या महत्व है सब जानते है , जबकि इस फिल्म की पृष्ठभूमि कुछ और ही थी , इसका पूरे देश मैं विरोध हुआ ,सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक , कई हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया बाद मैं फिल्म का नाम बदल दिया गया , लेकिन फिल्म ने करोड़ों की कमाई कर डाली जो भंसाली जी का प्रमुख उद्देश्य था
अब की बार फिल्म है पद्मावती जो रानी पद्मावती के जीवन चरित्र पर आधारित है , अब कितनी आधारित है यह तो फिल्म आने के बाद पता चलेगा लेकिन रानी पद्मावती का जीवन चरित्र क्या है यह किसी से नहीं छुपा है कोई फ़िल्मी निर्देशक तय नहीं करेगा रानी का जीवन चरित्र , उनका जीवन चरित्र उनका त्याग ,उनकी पवित्रता ,उनकी वचनबद्धता और निष्ठा हर कोई जानता है हमारा भारतीय इतिहास इस बात की साफ़ गवाही देता है इसमें कोई शंका है ही नहीं
अब आते है फिल्म की बात पर तो फिल्म के परदे पर आने से पहले इसका खूब विरोध हुआ कारण यह की फिल्म मैं रानी के किरदार को गलत तरीके से दिखाया गया है इसमें अलाउद्धीन और रानी पद्मावती के बीच व्यवहारिक प्रसंग बताया गया है जोकि इतिहास के हिसाब से गलत है , अब निर्देशक भी क्या करें अलाउद्धीन का किरदार रणवीर सिंह और पद्मावती का किरदार दीपिका पादुकोण जो निभा रही है ये दोनों सुपर स्टार है तो इसी बात का फायदा भंसाली जी ने उठाया है और फिल्म की कमाई बढ़ाने के लिए इस सस्ती लोकप्रियता का सहारा लिया है जो काफी हद तक सफल भी हो चूका है
हमारे देश मैं करीब दस पंद्रह वर्षों से यह हो रहा है की फिल्म को थोड़ा सा विवादित बनाओ और फिर खूब पैसा कमाओ क्यों की ये हिंदुस्तान है साहब यहाँ विरोध से भी पैसा कमा लिया जाता है देश की आबादी एक सौ पच्चीस करोड़ है आखिर कितने नाराज होंगे , अब तो फिल्म केवल देश मैं ही नहीं बल्कि एक साथ कई देशों मैं दिखाई जाती है इंटरनेट का जमाना है तो और फायदा , क्यों की कई फ़िल्में है ऐसी है जो किसी वजह से हिंदुस्तान मैं नहीं चल पायी तो अन्य देशों मैं जबरजस्त पसंद किया गया और कमाई भी खूब हुयी
ऐसा ही पद्मावती फिल्म का है हिन्दुतान मैं विरोध हो भी रहा हो क्या फर्क पड़ता है करीब सौ देशों मैं फिल्म कमाई कर जाएगी भंसाली अरबों और सरकार करोड़ों कमा लेगी देखना
अब इसका राजनैतिक उद्देश्य क्या है थोड़ा इस पर चर्चा करना जरूरी है , राजस्थान मैं कुछ समय से राजपूत वर्ग वसुंधरा सरकार से नाराज चल रहा है विशेषकर आनंदपाल एनकाउंटर की वजह से और दूसरा कुछ सरकार द्वारा नियम परिवर्तन भी किये गए है तो कुछ लोग इससे भी खफा है अब राजस्थान राजपूतों का गढ़ माना जाता है यदि यह वर्ग नाराज हुआ तो सरकार कैसे आएगी
तो इस फिल्म के सहारे लोगों की मानसिकता को मोड़ने का काम भी हुआ है क्यों की जब फिल्म के विवादित होने की बात आयी तो भाजपा के कुछ मंत्रियों ने और कांग्रेस के कुछ विधायकों ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लिया और अपने अपने बयान जारी कर दिए , और राजस्थान मैं कई राजपूत संघठन है जो पहले आनदपाल एनकाउंटर पर विरोध कर रहे थे वो सबकुछ छोड़कर भंसाली के पुतले फूकने मैं लग गए इसके बाद देश के कई हिस्सों मैं भी विरोध हुआ है
एक उदहारण देता हूँ संछिप्त मैं एक नाटक आता था ज़ी टीवी पर जोधा अकबर , इस नाटक मैं जोधाबाई और अकबर के बीच इतना ज्यादा प्रेम प्रसंग दिखाया गया जिसका लोगों ने काफी विरोध किया लेकिन हुआ क्या जितना विरोध हुआ नाटक की उतनी टीआरपी बढ़ती गयी जबकि इतिहास कुछ और कहता है , कोई भी फिल्म नाटक दिखाए जाने से पहले उस पर एक लेख आता है की यह सब काल्पनिक है इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है यह नाटककार या फ़िल्मकार अपने बचाव के लिए करते है
सबकुछ अपने चरम पर है फिल्म पद्मावती का भरपूर विरोध हो चूका है और फिल्म का मामला कोर्ट तक के संज्ञान मैं है अब फिल्म कब परदे पर आएगी ये तय नहीं है लेकिन मुझे पूरा यकीन है की फिल्म राजस्थान के चुनाव के समय आएगी क्यों की जल्द ही राजस्थान मैं चुनाव है और उसी समय कांग्रेस और भाजपा अपने अपने मुद्दे पकड़ लेगी चुनाव मैं लोगों की मानसिकता पूर्ण रूप से बदल चुकी होगी , परिणाम क्या होगा ये समय बताएगा
फिल्म निर्देशक ऐसा जानबूझकर करते है ताकि खूब कमाई की जाए अब वो समय नहीं रहा की किसी चीज़ का बहिष्कार हो और लोग उस पर अमल करें अब लोग विरोध करते है देखते है सुनते है और एक प्रश्न मन मैं पाल लेते है की फिल्म मैं ऐसा क्या है जो इसका विरोध हो रहा है इसको देखना जरूरी है , यही तो निर्देशक चाहता है उसे ऐसे ही पैसे कमाने है और अब तो फिल्म का अंतर्राष्ट्रीयकरण होता है तो और अधिक कमाई क्यों की हमारा बॉलीवुड दुनिया मैं बड़ा नाम रखता है बहुत ज्यादा कमाई करने मैं और फिल्म बनाने मैं
लेकिन मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की फालतू विरोध से सिर्फ फिल्म निर्माता और निर्देशक को ही लाभ होता है जनता को नहीं जनता को सिर्फ मुर्ख बनाया जाता है और रही धर्म या फिर इतिहास की बात तो इसके लिए हमें मजबूत होना पड़ेगा क्यों की कोई फिल्म या नाटक नौटंकी हमें इतिहास और धर्म से परिचित नहीं कराएँगे या हमारा ह्रदय परिवर्तन करेंगे , हिन्दुतान मैं धर्म और कई पंथ है इसके अलावा कई जातिवर्ग इसी का फायदा ये फिल्मकार और नाटककार उठाते है
इसके लिए हमें समझना पड़ेगा
धन्यवाद् जय हिन्द
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